“How many states are there in Nepal?” नेपाल में कितने राज्य हैं?

नेपाल एक संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य है और इसे 7 प्रदेशों (राज्यों) में विभाजित किया गया है। प्रत्येक प्रदेश का अपना सरकार और प्रशासनिक ढांचा है। ये प्रदेश 20 सितंबर 2015 को लागू हुए संविधान के तहत बनाए गए थे।

States in Nepal
Nepal

नीचे सभी 7 प्रदेशों की जानकारी दी गई है:


  1. प्रदेश संख्या 1 (कोसी प्रदेश)

राजधानी: विराटनगर

क्षेत्रफल: 25,905 वर्ग किलोमीटर

जनसंख्या (2011): 45,34,943

जिलों की संख्या: 14 (उदाहरण: झापा, इलाम, धनकुटा, संखुवासभा)

विशेषताएँ:

यहाँ पर्वतीय और तराई दोनों क्षेत्र हैं।

मकालू और कंचनजंघा जैसे ऊँचे पर्वत स्थित हैं।

चाय उत्पादन के लिए प्रसिद्ध इलाम यहाँ स्थित है।


  1. मधेश प्रदेश (प्रदेश संख्या 2)

राजधानी: जनकपुर

क्षेत्रफल: 9,661 वर्ग किलोमीटर

जनसंख्या (2011): 54,29,452

जिलों की संख्या: 8 (उदाहरण: धनुषा, महोत्तरी, सर्लाही, रौतहट)

विशेषताएँ:

नेपाल का सबसे घनी आबादी वाला प्रदेश।

कृषि और व्यापार यहाँ की मुख्य गतिविधियाँ हैं।

जनकपुर, भगवान राम की पत्नी सीता का जन्मस्थान, यहाँ स्थित है।


  1. बागमती प्रदेश

राजधानी: हेटौडा

क्षेत्रफल: 20,300 वर्ग किलोमीटर

जनसंख्या (2011): 55,29,452

जिलों की संख्या: 13 (उदाहरण: काठमांडू, भक्तपुर, ललितपुर, चितवन)

विशेषताएँ:

नेपाल की राजधानी काठमांडू इसी प्रदेश में है।

यह प्रदेश नेपाल का प्रशासनिक और आर्थिक केंद्र है।

पशुपतिनाथ मंदिर और स्वयम्भूनाथ स्तूप जैसे धार्मिक स्थल यहाँ स्थित हैं।


  1. गण्डकी प्रदेश

राजधानी: पोखरा

क्षेत्रफल: 21,504 वर्ग किलोमीटर

जनसंख्या (2011): 24,03,757

जिलों की संख्या: 11 (उदाहरण: कास्की, तनहुँ, स्यांग्जा, पर्वत)

विशेषताएँ:

पोखरा पर्यटन का केंद्र है और अन्नपूर्णा रेंज यहीं स्थित है।

फेवा झील और सरंगकोट जैसे प्राकृतिक स्थल इसे आकर्षक बनाते हैं।

यह क्षेत्र धार्मिक और साहसिक पर्यटन के लिए प्रसिद्ध है।


  1. लुम्बिनी प्रदेश

राजधानी: बुटवल (अस्थायी)

क्षेत्रफल: 22,288 वर्ग किलोमीटर

जनसंख्या (2011): 44,99,272

जिलों की संख्या: 12 (उदाहरण: रूपन्देही, कपिलवस्तु, बाँके, बर्दिया)

विशेषताएँ:

लुंबिनी, भगवान बुद्ध का जन्मस्थान, यहाँ स्थित है।

यह प्रदेश कृषि और व्यापार के लिए महत्वपूर्ण है।


  1. कर्णाली प्रदेश

राजधानी: सुर्खेत

क्षेत्रफल: 27,984 वर्ग किलोमीटर

जनसंख्या (2011): 15,70,418

जिलों की संख्या: 10 (उदाहरण: जुम्ला, हुम्ला, कालिकोट, मुगु)

विशेषताएँ:

नेपाल का सबसे कम घनी आबादी वाला प्रदेश।

यहाँ के दुर्गम क्षेत्र हिमालय से घिरे हुए हैं।

रारा झील और शाय फोक्सुंडो झील जैसे सुंदर स्थल यहाँ स्थित हैं।


  1. सुदूरपश्चिम प्रदेश

राजधानी: धनगढ़ी (अस्थायी)

क्षेत्रफल: 19,539 वर्ग किलोमीटर

जनसंख्या (2011): 25,52,517

जिलों की संख्या: 9 (उदाहरण: कैलाली, कंचनपुर, दारचुला, बैतडी)

विशेषताएँ:

यह प्रदेश हिमालय और तराई दोनों क्षेत्रों का मेल है।

धार्मिक दृष्टि से प्रसिद्ध अपर काली मंदिर यहाँ स्थित है।

यहाँ की संस्कृति विशिष्ट और विविधतापूर्ण है।


महत्वपूर्ण तथ्य:

नेपाल के प्रदेशों का नामकरण अब भी प्रक्रिया में है। कई प्रदेश अपने स्थायी नामों की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

हर प्रदेश में एक विधानसभा और मुख्यमंत्री होता है।

ये प्रदेश स्थानीय सरकारों और संघीय सरकार के बीच एक सेतु का काम करते हैं।

यह विभाजन प्रशासनिक सुधार और विकास को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए किया गया है।

“How many rivers flow in total in Nepal?”नेपाल में कुल कितनी नदियां बहती हैं?

नेपाल को “नदियों की भूमि” कहा जाता है क्योंकि यहां अनगिनत छोटी और बड़ी नदियां बहती हैं। नेपाल में लगभग 6,000 नदियां हैं, जिनमें से कई हिमालय से निकलती हैं और भारत में गंगा नदी प्रणाली में मिलती हैं। इन नदियों को तीन प्रमुख नदी प्रणालियों में वर्गीकृत किया जा सकता है।


  1. नेपाल की प्रमुख नदी प्रणालियां:

(i) कोसी नदी प्रणाली (Koshi River System):

कोसी नदी को नेपाल की “सप्तरथी” (सात सहायक नदियों) के नाम से जाना जाता है।

यह नेपाल की सबसे बड़ी और लंबी नदी प्रणाली है।

सहायक नदियां:

  1. तमोर
  2. अरुण
  3. दूधकोसी
  4. सुनकोसी
  5. इन्द्रावती
  6. भोटेकोसी
  7. तमाकोसी

यह नदी बिहार (भारत) में गंगा नदी में मिलती है और इसे “सorrow of Bihar” (बिहार का शोक) भी कहा जाता है।


(ii) गंडकी नदी प्रणाली (Gandaki River System):

गंडकी नदी को “सप्तगंडकी” भी कहा जाता है।

यह नदी नेपाल के मध्य भाग में बहती है।

सहायक नदियां:

  1. काली गंडकी (मुख्य नदी)
  2. त्रिशूली
  3. बूढ़ी गंडकी
  4. मर्स्यांगदी
  5. सेती गंडकी
  6. दरौदी
  7. मधि

काली गंडकी नदी में विश्व की सबसे गहरी घाटी स्थित है, जिसे काली गंडकी गॉर्ज कहा जाता है।

यह नदी भी भारत में गंगा नदी में मिलती है।


(iii) कर्णाली नदी प्रणाली (Karnali River System):

कर्णाली नेपाल की सबसे लंबी नदी है।

यह नदी नेपाल के पश्चिमी भाग में बहती है।

सहायक नदियां:

  1. सेती
  2. भेरी
  3. पश्चिमी राप्ती

कर्णाली नदी भारत में गंगा नदी की सहायक नदी घाघरा के रूप में मिलती है।

यह नदी नेपाल में कई जलविद्युत परियोजनाओं का आधार है।


  1. अन्य महत्वपूर्ण नदियां:

महाकाली नदी:

यह नदी भारत और नेपाल के बीच सीमा बनाती है।

इसे शारदा नदी भी कहा जाता है।

बागमती नदी:

यह काठमांडू घाटी की प्रमुख नदी है।

इसका धार्मिक महत्व है और इसे नेपाल की “गंगा” कहा जाता है।

कमला नदी:

यह नदी मधेश क्षेत्र में बहती है और कृषि के लिए महत्वपूर्ण है।

राप्ती नदी:

यह तराई क्षेत्र में बहती है और नेपाल के दक्षिणी भाग में कृषि के लिए उपयोगी है।


  1. नदियों का वर्गीकरण:

(i) हिमालयी नदियां:

ये नदियां हिमालय से निकलती हैं और पूरे वर्ष जल प्रवाह बनाए रखती हैं।

उदाहरण: कर्णाली, कोसी, गंडकी।

(ii) पहाड़ी नदियां:

ये नदियां पहाड़ी क्षेत्रों से निकलती हैं और बरसात के मौसम में जल प्रवाह बढ़ जाता है।

उदाहरण: बागमती, कमला।

(iii) तराई की नदियां:

ये नदियां तराई क्षेत्र में बहती हैं और मुख्यतः छोटी होती हैं।

उदाहरण: मछली, बाणगंगा।


  1. नेपाल की नदियों का महत्व:

(i) सिंचाई:

नदियां कृषि के लिए मुख्य जल स्रोत हैं।

नेपाल के तराई क्षेत्र में कृषि इन्हीं नदियों पर आधारित है।

(ii) जलविद्युत उत्पादन:

नेपाल की नदियां जलविद्युत उत्पादन के लिए अत्यधिक उपयोगी हैं।

नेपाल में लगभग 83,000 मेगावॉट जलविद्युत उत्पादन की क्षमता है।

(iii) धार्मिक महत्व:

नेपाल की नदियां हिंदू और बौद्ध धर्म में पवित्र मानी जाती हैं।

बागमती, गंडकी और कोसी जैसी नदियां धार्मिक अनुष्ठानों में उपयोग की जाती हैं।

(iv) पारिस्थितिकी और पर्यटन:

नेपाल की नदियां एडवेंचर स्पोर्ट्स जैसे राफ्टिंग, कयाकिंग के लिए प्रसिद्ध हैं।

काली गंडकी गॉर्ज और त्रिशूली राफ्टिंग साइट्स लोकप्रिय हैं।


  1. चुनौतियां:

बाढ़: तराई क्षेत्र में हर साल बाढ़ की समस्या होती है।

पर्यावरणीय क्षति: नदियों का प्रदूषण और वनों की कटाई से जलस्रोतों पर असर पड़ रहा है।

अंतरराष्ट्रीय विवाद: महाकाली और अन्य नदियों को लेकर भारत के साथ सीमा विवाद भी होते हैं।


निष्कर्ष:

नेपाल की नदियां उसके भूगोल, संस्कृति, और अर्थव्यवस्था का अभिन्न अंग हैं। हिमालय से निकलती ये नदियां न केवल नेपाल बल्कि भारत और बांग्लादेश के लिए भी जल और कृषि का मुख्य स्रोत हैं। इनकी सुरक्षा और सतत उपयोग नेपाल के विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

“With which international borders does Nepal share its boundary?”नेपाल की सीमा किन-किन अंतरराष्ट्रीय सीमा से मिलती है ?

नेपाल दक्षिण एशिया का एक भूमिबद्ध देश (Landlocked Country) है, और इसकी सीमा केवल दो देशों से मिलती है: भारत और चीन। नेपाल की सीमा इन दोनों देशों से विशिष्ट भौगोलिक और सांस्कृतिक विविधता के साथ जुड़ी हुई है।


नेपाल की अंतर्राष्ट्रीय सीमाएं:

  1. भारत (दक्षिण, पूर्व और पश्चिम में):

सीमा लंबाई: लगभग 1,850 किलोमीटर।

सीमा साझा करने वाले भारतीय राज्य:
नेपाल भारत के पाँच राज्यों के साथ सीमा साझा करता है। ये राज्य हैं:

  1. उत्तराखंड (पश्चिम में)
  2. उत्तर प्रदेश
  3. बिहार
  4. पश्चिम बंगाल
  5. सिक्किम (पूर्व में)

मुख्य सीमा क्षेत्र:
भारत और नेपाल की सीमा मुख्यतः तराई क्षेत्र में है, जो कृषि और आवास के लिए उपयुक्त है। सीमा पर स्थित कुछ महत्वपूर्ण शहर:

नेपाल: काकरभिट्टा, बीरगंज, भैरहवा, नेपालगंज।

भारत: रक्सौल (बिहार), सोनौली (उत्तर प्रदेश), पनितंकी (पश्चिम बंगाल)।

विशेषताएँ:

भारत-नेपाल सीमा खुली सीमा (Open Border) है, जिसका मतलब है कि नागरिक बिना वीजा या पासपोर्ट के सीमा पार कर सकते हैं।

दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक, धार्मिक और पारिवारिक संबंध बहुत गहरे हैं।

सीमाई विवाद:

काली नदी विवाद (महाकाली/लिपुलेख): यह विवाद उत्तराखंड के लिपुलेख और कालापानी क्षेत्र में है।

सस्ता कोशी विवाद: कोशी नदी के बांध और जल प्रबंधन को लेकर समय-समय पर मतभेद होते हैं।


  1. चीन (उत्तर में):

सीमा लंबाई: लगभग 1,414 किलोमीटर।

चीन का क्षेत्र: नेपाल चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (Tibet Autonomous Region) के साथ अपनी सीमा साझा करता है।

मुख्य सीमा क्षेत्र:
नेपाल और चीन की सीमा हिमालय में स्थित है, जिसमें कई प्रसिद्ध पर्वतीय क्षेत्र आते हैं।

माउंट एवरेस्ट (सागरमाथा): नेपाल और चीन के बीच स्थित है।

कोदारी सीमा: यह नेपाल और तिब्बत के बीच सबसे महत्वपूर्ण व्यापारिक मार्ग है।

विशेषताएँ:

नेपाल और चीन के बीच व्यापारिक और आर्थिक संबंध तेजी से बढ़ रहे हैं।

नेपाल और चीन के बीच सीमा पार आवागमन के लिए प्रमुख बिंदु:

  1. रसुवा-केरुंग मार्ग: यह वर्तमान में नेपाल-चीन का मुख्य व्यापारिक मार्ग है।
  2. अर्निको राजमार्ग: कोदारी से तिब्बत को जोड़ता है।

चीन नेपाल में बुनियादी ढांचे (हवाई अड्डे, रेलवे) के निर्माण में निवेश कर रहा है।

सीमाई विवाद:

नेपाल और चीन के बीच सीमा विवाद बहुत ही न्यूनतम है।

कुछ नक्शों में सीमांकन को लेकर हल्के मतभेद हुए हैं, लेकिन इन्हें शांतिपूर्ण तरीकों से हल किया गया है।


नेपाल की भौगोलिक स्थिति और सीमाओं का महत्व:

  1. सांस्कृतिक और धार्मिक संबंध:

भारत के साथ नेपाल का सांस्कृतिक और धार्मिक संबंध बहुत गहरा है।

भगवान बुद्ध का जन्म स्थान (लुंबिनी) और काठमांडू में पशुपतिनाथ मंदिर भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए महत्वपूर्ण हैं।

भारत और नेपाल में हिंदी और नेपाली भाषाएं एक-दूसरे को जोड़ती हैं।

  1. व्यापारिक संबंध:

नेपाल अपने आयात और निर्यात का अधिकांश हिस्सा भारत के रास्ते करता है।

चीन के साथ व्यापार बढ़ रहा है, लेकिन भौगोलिक चुनौतियों की वजह से यह अभी सीमित है।

  1. भौगोलिक विविधता:

हिमालय से लेकर तराई तक की विविधता नेपाल की सीमाओं को विशिष्ट बनाती है।

भारत के तराई क्षेत्र और चीन के हिमालयी क्षेत्र के बीच नेपाल एक प्राकृतिक पुल का काम करता है।

  1. रणनीतिक स्थिति:

नेपाल भारत और चीन के बीच स्थित है, जो इसे भू-राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बनाता है।

दोनों देशों के साथ संतुलित संबंध बनाए रखना नेपाल की विदेश नीति का मुख्य हिस्सा है।


सीमा प्रबंधन और चुनौतियां:

  1. खुली सीमा की चुनौतियां (भारत-नेपाल):

अवैध व्यापार और मानव तस्करी।

सीमा पर अपराध।

सीमा क्षेत्रों में विकास और सुरक्षा का अभाव।

  1. चीन-नेपाल सीमा की चुनौतियां:

हिमालयी भूभाग की कठिनाइयां।

सीमाई इलाकों में जलवायु परिवर्तन का प्रभाव।

  1. सीमाई विवाद और समाधान:

भारत और नेपाल के बीच कालापानी और लिपुलेख जैसे विवाद हैं।

नेपाल ने हाल ही में अपने नए राजनीतिक नक्शे में विवादित क्षेत्रों को शामिल किया है।


निष्कर्ष:

नेपाल की सीमा उसके भौगोलिक, सांस्कृतिक और आर्थिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। भारत और चीन जैसे बड़े देशों के बीच स्थित नेपाल अपनी स्वतंत्रता और संप्रभुता को बनाए रखते हुए संतुलित संबंध स्थापित करने की कोशिश करता है। नेपाल की सीमाओं का प्रबंधन और विकास उसके भविष्य की स्थिरता के लिए अत्यंत आवश्यक है।

How prosperous is Nepal from a commercial perspective?नेपाल व्यापारिक दृष्टि से कितना समृद्ध है

नेपाल की व्यापारिक स्थिति उसके भौगोलिक, आर्थिक और सांस्कृतिक पहलुओं से प्रभावित है। यह एक भूमिबद्ध देश (Landlocked Country) होने के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार तक सीधी पहुंच नहीं रखता, लेकिन भारत और चीन जैसे दो बड़े बाजारों के बीच स्थित होने के कारण व्यापारिक दृष्टि से संभावनाओं से भरपूर है।

नीचे नेपाल की व्यापारिक स्थिति का विस्तृत विवरण दिया गया है:


  1. नेपाल की अर्थव्यवस्था का अवलोकन:

आर्थिक संरचना:

कृषि आधारित अर्थव्यवस्था: नेपाल की लगभग 65% आबादी कृषि पर निर्भर है।

सेवा क्षेत्र: सेवा क्षेत्र (पर्यटन, बैंकिंग, शिक्षा) नेपाल की जीडीपी का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

उद्योग: उद्योगों का योगदान सीमित है; मुख्यतः हस्तशिल्प, कागज, और कृषि उत्पाद आधारित।

2023 में जीडीपी (GDP):

कुल: 36 अरब अमेरिकी डॉलर।

प्रति व्यक्ति आय: लगभग 1200 अमेरिकी डॉलर।

व्यापार घाटा (Trade Deficit):

नेपाल का व्यापार घाटा अत्यधिक है क्योंकि आयात निर्यात से काफी ज्यादा है।

नेपाल अपनी अधिकांश आवश्यकताओं के लिए भारत और चीन पर निर्भर है।


  1. नेपाल का व्यापारिक ढांचा:

(i) आयात (Imports):

नेपाल अपने कुल आयात का लगभग 65% भारत से करता है।

मुख्य आयातित वस्तुएं:

  1. पेट्रोलियम उत्पाद
  2. मशीनरी और उपकरण
  3. विद्युत उत्पाद
  4. खाद्य सामग्री (चावल, गेहूं)
  5. कपड़ा और तैयार वस्त्र

(ii) निर्यात (Exports):

नेपाल के निर्यात का बड़ा हिस्सा भारत को जाता है।

मुख्य निर्यातित वस्तुएं:

  1. कालीन और हस्तशिल्प
  2. जड़ी-बूटियां और औषधीय पौधे
  3. चाय और कॉफी
  4. कपड़ा और रेडिमेड गारमेंट
  5. जूट और जूट उत्पाद

(iii) व्यापारिक साझेदार:

भारत: नेपाल के कुल व्यापार का लगभग 60%।

चीन: नेपाल का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार।

अन्य देश: अमेरिका, जर्मनी, बांग्लादेश, जापान।


  1. व्यापार में समस्याएं:
  2. भूमिबद्ध स्थिति:

नेपाल समुद्र तक सीधी पहुंच नहीं रखता, जिससे आयात-निर्यात की लागत बढ़ जाती है।

व्यापार के लिए मुख्यतः कोलकाता और विशाखापत्तनम बंदरगाह (भारत) पर निर्भर है।

  1. अत्यधिक आयात निर्भरता:

नेपाल की अधिकांश आवश्यकताएं आयात से पूरी होती हैं, जिससे व्यापार घाटा बढ़ता है।

  1. अपर्याप्त औद्योगिक आधार:

नेपाल में उद्योग और निर्माण का स्तर कम है।

बिजली, कच्चे माल और कुशल श्रमिकों की कमी है।

  1. सीमित निर्यात क्षमता:

नेपाल के निर्यात का फोकस पारंपरिक वस्तुओं पर है, जो अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा नहीं कर पातीं।

  1. अंतरराष्ट्रीय बाजार तक सीमित पहुंच:

नेपाल का अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रवेश मुख्यतः भारत के माध्यम से होता है।

  1. भौगोलिक चुनौतियां:

पहाड़ी भूभाग और खराब बुनियादी ढांचा व्यापार में बाधा डालते हैं।


  1. नेपाल की व्यापारिक संभावनाएं:

(i) जलविद्युत उत्पादन और निर्यात:

नेपाल में जलविद्युत की अपार संभावनाएं हैं।

अनुमान है कि नेपाल लगभग 83,000 मेगावाट जलविद्युत उत्पादन कर सकता है।

भारत और बांग्लादेश जैसे देशों को बिजली निर्यात से आय बढ़ सकती है।

(ii) पर्यटन उद्योग:

नेपाल पर्यटन के लिए विश्व प्रसिद्ध है।

माउंट एवरेस्ट, लुंबिनी (बुद्ध का जन्मस्थान), पोखरा जैसे स्थलों के कारण हर साल लाखों पर्यटक आते हैं।

पर्यटन से विदेशी मुद्रा अर्जित होती है।

(iii) जड़ी-बूटियों और औषधीय पौधों का निर्यात:

नेपाल में हिमालयी जड़ी-बूटियों की बहुतायत है।

इसका निर्यात आयुर्वेद और औषधि उद्योगों में उपयोग के लिए किया जा सकता है।

(iv) कृषि उत्पाद:

नेपाल की जैविक कृषि उत्पादों (चाय, कॉफी, मसाले) की अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग है।

(v) चीन के साथ व्यापार:

चीन द्वारा नेपाल में बुनियादी ढांचे (रेलवे, सड़कों) के विकास में निवेश से व्यापारिक संबंध मजबूत हो रहे हैं।


  1. नेपाल में व्यापारिक सुधार की संभावनाएं:
  2. औद्योगिक आधार का विकास:

नेपाल को स्थानीय स्तर पर उद्योग स्थापित करने की जरूरत है।

कृषि आधारित उद्योगों (चावल मिल, जूट मिल) को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए।

  1. व्यापारिक विविधीकरण:

नेपाल को केवल भारत और चीन पर निर्भर रहने के बजाय अन्य देशों के साथ व्यापार संबंध बढ़ाना चाहिए।

  1. बुनियादी ढांचे का विकास:

सड़कों, रेलवे और जलमार्गों का विकास व्यापार की लागत को कम कर सकता है।

  1. जलविद्युत परियोजनाएं:

जलविद्युत के क्षेत्र में निवेश से नेपाल की आय में वृद्धि हो सकती है।

  1. नवाचार और कौशल विकास:

उच्च तकनीक और कुशल मानव संसाधन के विकास से निर्यात में बढ़ोतरी हो सकती है।


  1. निष्कर्ष:

नेपाल वर्तमान में व्यापारिक दृष्टि से पूरी तरह समृद्ध नहीं है, लेकिन इसमें अपार संभावनाएं हैं। जलविद्युत, पर्यटन, और कृषि आधारित उत्पाद नेपाल के आर्थिक विकास के प्रमुख क्षेत्र हो सकते हैं। यदि नेपाल अपने बुनियादी ढांचे, औद्योगिक आधार और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को मजबूत करता है, तो यह व्यापारिक दृष्टि से और अधिक समृद्ध बन सकता है।

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